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Saturday, March 9, 2019

आज का युवा



 
              
  युवावस्था जिंदगी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अवस्था होता है । इस अवस्था का हर युवक वर्ग ,केवल देश की शक्ति ही नहीं, बल्कि वहाँ की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक भी होता है ।युवा वर्ग किसी भी काल या देश का आईना होता है जिसमें हमें उस युग का भूत, वर्तमान और भविष्य , साफ़ दिखाई पड़ता है । इनमें इतना जोश रहता है कि ये किसी भी चुनौती को स्वीकारने के लिये तैयार रहते हैं । चाहे वह कुर्बानी ही क्यों न हो, नवयुवक अतीत का गौरव और भविष्य का कर्णधार होता है और इसी में यौवन की सच्ची सार्थकता भी है ।हमेशा जोश और जुनून से सराबोर रहने वाली युवा पीढ़ी ही देश का भविष्य होती है

            आंखों में उम्मीद के सपने, नयी उड़ान भरता हुआ मन, कुछ कर दिखाने का दमखम और दुनिया को अपनी मुठ्ठी  में करने का साहस, हरदम कुछ नया कर गुजरने की चाहत, नित नई-नई चुनौतियों का सामना करने तैयार रहना और जो एक बार करने की ठान लें तो लाख मुश्किलें भी उसको बदल न पाएं। शायद आज की युवा पीढ़ी को अपनी इस शक्ति का अंदाजा नहीं है। देश की युवा शक्ति ही समाज और देश को नई दिशा देने का सबसे बड़ा औजार है। वह अगर चाहे तो इस देश की सारी रूप-रेखा बदल सकती है। अपने हौसले और जज्बे से समाज में फैली विसंगतियों, असमानता, अशिक्षा, अपराध आदि बुराइयों को जड़ से उखाड़ फेंक सकती है। युवा शब्द ही मन में उडान और उमंग पैदा करता है। उम्र का यही वह दौर है जब न केवल उस युवा के बल्कि उसके राष्ट्र का भविष्य तय किया जा सकता है। आज के भारत को युवा भारत कहा जाता है क्योंकि हमारे देश में असम्भव को संभव में बदलने वाले युवाओं की संख्या  सर्वाधिक है।



                  आंकड़ों के अनुसार भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष आयु तक के युवकों की और 25 साल उम्र के नौजवानों की संख्या 50 प्रतिशत से भी अधिक है। ऐसे में यह प्रश्न महत्वपूर्ण है कि युवा शक्ति वरदान है या चुनौती? महत्वपूर्ण इसलिए भी यदि युवा शक्ति का सही दिशा में उपयोग न किया जाए तो इनका जरा सा भी भटकाव राष्ट्र के भविष्य को अनिश्चित कर सकता है।
लेकिन आज युवा पीढ़ी शायद इन बातों से अनजान है। एक ओर वह अपने कैरियर को बेहतर दिशा देने के लिए संघर्षरत है, कड़ी मेहनत करती है और जोश, जुनून, दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति से अपने लक्ष्य को पाने का हौसला रखती है वहीँ कुछ युवा नशा, वासना, लालच, हिंसा के कर्म में शामिल हो गए हैं। पैसे वालों के लिए एडवेंचर और मनोरंजन जीवन का मुख्य ध्येय बन रहे हैं और उनकी देखादेखी विपन्न युवा भी यही आकांक्षा पाल बैठा है।

                     स्वामी विवेकानंद युवाओं से बहुत प्यार करते थे। वे कहा करते थे विश्व मंच पर भारत की पुनर्प्रतिष्ठा में युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। विवेकानंद का मत था- मंदिर जाने से ज्यादा जरूरी है युवा खेल खेले। युवाओं के स्नायु फौलादी होना चाहिए क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है। दुर्भाग्य से आज अधिसंख्य लोगों के जीवन से खेल-कूद, व्यायाम दूर होते जा रहे हैं। आज तो पूरे-पूरे दिन ही मोबाइल, इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्स एप, ट्विटर आदि युवाओं को व्यस्त रखते हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारा युवा इस देश की परिस्थियों को ठीक से समझे।

                युवाओं को देश के सभु क्षेत्रों में अपनी सहभागिता देनी चाहिए ।  समाज और देश निर्माण में अपना योगदान करना होगा। देश सीमा रेखा भर तो नहीं होता। वह समाज और मनुष्यों से निर्मित होता है। आज के युवा को अपनी उन्नति और प्रगति के साथ इस भारत का नक्शा बदलने का संकल्प लेना होगा तभी यह भारत दुनिया का सिरमौर बन सकेगा। तभी हम सच्चे अर्थों में आजादी का आनंद ले पाएंगे।

   

5 comments:

Pradeep sahu said...

Bahut sundr... Think

Kripendra tiwari said...

👌👌👌👌💐💐💐

The hindi said...

बेहतरीन लेख👍

राजेश कुमार said...

बहुत सुंदर सोच

Unknown said...

Bahut badiya

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