सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
तन से मन से और धन से सबको मिलकर कुछ कुछ जतन से
सेवा जितना हो सके सकल समर्पण करनी है।
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
मूर्छित होता जो सैनिक सब मिलकर सम्मान करते हैं
जो दुश्मन को पार लगाए सब मिलकर अभिमान करते हैं
जो करती हैं देश की सेना सबको मिलकर वैसी करनी है
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
सब सैनिक का परिवार है होता होता घर और द्वार
दुनिया की मोह माया से परे छोटा सा एक संसार
इस संसार का भी पालन पोषण उसी सैनिक को करनी है
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
दुनिया का जो सुख ना जाने ना जाने भोजन पानी
फिर भी रहते बड़े मौज में दिखते सबसे अवमानी
कहते हैं वे हमको जब तक हम हैं तुम सबको चैन से रहनी हैं
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
दुश्मन जिसके पास ना आये ,कुछ करे और कुछ हो जाये
सडयंत्र करके भी पझताये एक को मारे तो सौ मर जाये
चिल्लाये और मुह की खाये ,दुम दबा कर जो भाग जाए ,
यह मेरा देश हैं ऐसा जो सीमाओं को अधिक बलवान बनाये
मेरे इस देश पर अब सबको गुमान करनी है
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
-मोतीराम
9131308002
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
तन से मन से और धन से सबको मिलकर कुछ कुछ जतन से
सेवा जितना हो सके सकल समर्पण करनी है।
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
मूर्छित होता जो सैनिक सब मिलकर सम्मान करते हैं
जो दुश्मन को पार लगाए सब मिलकर अभिमान करते हैं
जो करती हैं देश की सेना सबको मिलकर वैसी करनी है
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
सब सैनिक का परिवार है होता होता घर और द्वार
दुनिया की मोह माया से परे छोटा सा एक संसार
इस संसार का भी पालन पोषण उसी सैनिक को करनी है
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
दुनिया का जो सुख ना जाने ना जाने भोजन पानी
फिर भी रहते बड़े मौज में दिखते सबसे अवमानी
कहते हैं वे हमको जब तक हम हैं तुम सबको चैन से रहनी हैं
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
दुश्मन जिसके पास ना आये ,कुछ करे और कुछ हो जाये
सडयंत्र करके भी पझताये एक को मारे तो सौ मर जाये
चिल्लाये और मुह की खाये ,दुम दबा कर जो भाग जाए ,
यह मेरा देश हैं ऐसा जो सीमाओं को अधिक बलवान बनाये
मेरे इस देश पर अब सबको गुमान करनी है
सीमाओं से कौन डरे यह तो अपनी जननी है
इसकी गोद मे सर रख कर इसकी रक्षा करनी है
-मोतीराम
9131308002
4 comments:
best ever poem bhai
Ati sunder bhaiya ji
Bahut khub bhayia 👌👌
बहुत सुंदर भाई
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