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Thursday, January 23, 2020

मेरी प्रियतम मुझे .


मेरी प्रियतम मुझे, तुमसे बस इतना कहना है।
तेरे साथ है जीवन मेरा ,तेरे साथ ही मरना है ।
महफील अगर मिली कोई तो,  मुझको तेरे संग चलना है
मेरी प्रियतम मुझे, तुमसे बस इतना कहना है।
तेरे साथ है जीवन मेरा ,तेरे साथ ही मरना है ।

जिस दिन पास नही मेरे ,हा पास नही तू आती है ।
सुना सुना दिन लगता है ,मुझे नींद नही आती है।
तेरे संग मुझको तो अब ,हर दिन हर पल रहना है।
मेरी प्रियतम मुझे, तुमसे बस इतना कहना है।
तेरे साथ है जीवन मेरा ,तेरे साथ ही मरना है ।

दूरी रहे धरा की अम्बर से, फिर भी हम तो साथ चलेंगे ।
भूल जमाने की डर को हम, हाथो में लेकर हाथ चलेंगे ।
जैसे चलते हैं नीर पवन, वैसे ही हमको साथ चलना है
मेरी प्रियतम मुझे, तुमसे बस इतना कहना है।
तेरे साथ है जीवन मेरा ,तेरे साथ ही मरना है ।

यू रातो को तुम अक्सर , आजाना मेरी बाहों में।
लब से भले कुछ ना कहना ,कह देना मुझसे निगाहों में।
तुम मेरी दुनिया की महफील, तुम ही मेरा आशियाँ हो
तुम्हे ये आंखे ढूंढे है अब ,इन आंखों
 में तुमको रहना है।
मेरी प्रियतम मुझे, तुमसे बस इतना कहना है।।
तेरे साथ है जीवन मेरा ,तेरे साथ ही मरना है ।
मेरी प्रियतम मुझे ......
       -मोतीराम 

Wednesday, January 8, 2020

मुझे दीपक की तरह जलना है।

   
   मुझे दीपक की तरह जलना है।

बहुत जी ली अपनी जिंदगी,अब मुझे तो देश के लिए कुछ करना है।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

अपनी जीवन की सारी सुख चैन अब मुझे एक पल में छोड़ना है ।
जो जीवन देश के काम आए मुझे अब उस जीवन की तरह ढलना है।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।


आज और अभी से मुझे अपनो का त्याग करना है।
जो खुद के लिए देखा उन सब सपनों का त्याग करना है ।
माँ बाप को बहुत दुख दिया लेकिन अब तो उनका सिर ऊंचा करना है ।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।


प्रातः काल उठना है और रात को देर से सोना है 
दिनभर मेहनत कर शरीर सुडौल बनाना है
दौड़ हो या भाला फेंक या कोई कसरत या सीना 
मुझे तो अब हर मुकाम में पहला आना है 
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,
मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

माँ बाप ने मुझे बहुत मन्नत से पाया है 
मुझे पता है मेरे लिए अपना सबकुछ खपाया है 
जो मेरे लिए आजतक खपाया उनसभी का अब मुझे ऋण चुकाना है ।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।


अब तो मेरे सपने कहते हैं मुझसे मुझे देश के लिए जीना और देश के लिए मरना है।
दुश्मन चाहे लाख डराए मुझे कभी पीछे नही हटना है।
डटकर लड़ना है मुकाबला करना है मैं शेर हु भारत माँ का मुझे शिकार करना है।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

युद्ध होना तो तय है अरे कोई बात नही
वो डराएंगे धमकाएंगें अरे कोई बात नही
वो गोलियां भी चलाएंगे अरे कोई बात नही 
हम मारेंगे या मर जायेंगे अरे कोई बात नही।
बस बात ये है कि भले ही शरीर खून से लतपथ हो फिर भी मुझे अपना तिरंगा शान से लहराना है
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

        - मोतीराम

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