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Wednesday, January 8, 2020

मुझे दीपक की तरह जलना है।

   
   मुझे दीपक की तरह जलना है।

बहुत जी ली अपनी जिंदगी,अब मुझे तो देश के लिए कुछ करना है।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

अपनी जीवन की सारी सुख चैन अब मुझे एक पल में छोड़ना है ।
जो जीवन देश के काम आए मुझे अब उस जीवन की तरह ढलना है।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।


आज और अभी से मुझे अपनो का त्याग करना है।
जो खुद के लिए देखा उन सब सपनों का त्याग करना है ।
माँ बाप को बहुत दुख दिया लेकिन अब तो उनका सिर ऊंचा करना है ।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।


प्रातः काल उठना है और रात को देर से सोना है 
दिनभर मेहनत कर शरीर सुडौल बनाना है
दौड़ हो या भाला फेंक या कोई कसरत या सीना 
मुझे तो अब हर मुकाम में पहला आना है 
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,
मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

माँ बाप ने मुझे बहुत मन्नत से पाया है 
मुझे पता है मेरे लिए अपना सबकुछ खपाया है 
जो मेरे लिए आजतक खपाया उनसभी का अब मुझे ऋण चुकाना है ।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।


अब तो मेरे सपने कहते हैं मुझसे मुझे देश के लिए जीना और देश के लिए मरना है।
दुश्मन चाहे लाख डराए मुझे कभी पीछे नही हटना है।
डटकर लड़ना है मुकाबला करना है मैं शेर हु भारत माँ का मुझे शिकार करना है।
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

युद्ध होना तो तय है अरे कोई बात नही
वो डराएंगे धमकाएंगें अरे कोई बात नही
वो गोलियां भी चलाएंगे अरे कोई बात नही 
हम मारेंगे या मर जायेंगे अरे कोई बात नही।
बस बात ये है कि भले ही शरीर खून से लतपथ हो फिर भी मुझे अपना तिरंगा शान से लहराना है
ये पवन तू चाहे कितना भी रोक ले ,मुझे तो दीपक की तरह जलना है।

        - मोतीराम

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