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Saturday, October 19, 2019

बाबूजी


                      बाबूजी

लड़कपन की वो बात पुरानी , सुनो आज बतलाता हूं।
मेरे जो बाबूजी हैं उनकी कुछ बात पुरानी  सुनाता हूं।
बचपन मे मैं जब भी गिरता वो झट से मुझे उठाते थे।
रोता मैं गिरकर जो कभी तो सहलाकर चुप कराते थे।
बाबूजी के साथ घूमना मानो हर दिन मेला सा लगता था।
जिस पल साथ नही रहते तो सब कुछ झमेला सा लगता था।
बाबूजी हमको बात बताते थे गांव गली और बुजुर्गो की।
कहते थे काम आएगा सुन लो यह बात है तजुर्बा की ।
लड़कपन की वो बात पुरानी , सुनो आज बतलाता हूं।
मेरे जो बाबूजी हैं उनकी कुछ बात पुरानी  सुनाता हूं।

उनके कहानियों में जीवन का हर सार छुपा रहता है।
बीत गया वह जमाना और आने वाला संसार छुपा रहता है ।
वो बाबूजी के साथ खेलना ,लड़ना झगड़ना हँसना रोना।
उनकी थाली में खाना अपना जूठा उन्हें खिलाना।
सब बातें उस जमाने की जब हमको अच्छा लगता था।
मन मे किसी के लिए भी बैर नही सब कुछ सच्चा लगता था ।
लड़कपन की वो बात पुरानी , सुनो आज बतलाता हूं।
मेरे जो बाबूजी हैं उनकी कुछ बात पुरानी  सुनाता हूं।

बाबूजी हमारे प्यार बहुत करते हमसे पर रहते बड़े सख्त हैं।
गोल गोल आंखे और प्यारे से चेहरे और काले बालो में दिखते बड़े मस्त हैं
वैसे तो बाबूजी का हर अंदाज निराला लगता है।
मुझसे अक्सर कहते हैं बेटा तू भोला भाला लगता है।।
बीमार कभी मैं पड़ता तो डॉक्टर अंकल को बुलवाते थे
छोटी सी बीमारी पर भी जो बहुत परेशान हो जाते थे।।
लड़कपन की वो बात पुरानी , सुनो आज बतलाता हूं।
मेरे जो बाबूजी हैं उनकी कुछ बात पुरानी  सुनाता हूं।

बाबूजी की हर बात को मैं हमेशा याद रखता हूं।
जब भी मुश्किल आती तो उनको पुकार लेता हूं।
बाबूजी का दोस्त यार और सब कुछ मैं कहलाता था।
बचपन में मैं दिनभर की सारी बात उन्हें बतलाता था।
माँ की ममता बाबूजी का प्यार कहते हैं कभी आंका नही जा सकता
प्यार अनंत रहता है उनके दिल मे जिसे किसी दूरबीन से झांका नही जा सकता । 
लड़कपन की वो बात पुरानी , सुनो आज बतलाता हूं।
मेरे जो बाबूजी हैं उनकी कुछ बात पुरानी  सुनाता हूं।
            - मोतीराम 
         9131308002

4 comments:

Unknown said...

Ati sundar bhayia

sanjay sen kharora said...

Bhaut achha bhai

Kripendra tiwari said...

अत्यंत हृदयस्पर्शी कविता......👌👌👌💐💐💐💐😍😍😍

Unknown said...

very very very nice bhai

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