शुरुआत थी सफर की और ये ऑंख उस पर आई थी।
किसी और से बाते करते जिसने मेरी चैन चुराई थी।
दिल तो किया पास जाकर उससे दोस्ती कर लूं,लेकिन,
इससे पहले मैं कुछ कहता उसकी पहचान किसी और ने कराई थी।।
मैने जो कहा आओ साथ बैठते हैं तो झट से मंजूरी हो गई ।
जैसे ही वह पास आई लगा जिंदगी की सारी कमी पूरी हो गई।
उसकी बातों में बचपना था और होंठो पर प्यारी मुस्कान थी,
थोड़े ही समय में मेरी सब कुछ बन गई जो तब तक मेरसे अनजान थी।
वो खिड़की से आती ठंडी ठंडी हवा और उसकी जुल्फों का यूँ उड़ना।
चेहरे को चूमती हुई जुल्फे फिर बड़े प्यार से मुस्कुरा कर उसे पीछे करना।
कुछ बात थी उसमे की मेरा दिल उसकी हर मुस्कान पर मचलती थी।
जब भी गाड़ी रुकती तो हाथ पकड़ वह मेरे साथ चलती थी।।
कुछ ही समय मे बढ़ गई मोहब्बत और उसकी आंखों में मेरे लिए इबादत थी।
मैं भी मोहब्बत के ख्वाब बुनता गया, उसकी निगाहें बता रही थी मुझे इजाजत थी।।
जब वह पानी पीती तो कुछ बूंदे गंगाजल सी झलकाती थी।
खाना पहले मुझे खिलाती बाद स्वयं वह खाती थी।
मेरी अंजुरी की रेखा पर वह अपनी जीवन बुनती थी।
मुख से मेरे जो कुछ निकलता ध्यान लगा वह सुनती थी।
कांधे पे मेरे सिर रख कर वो चुपके से सो जाती थी।
बाह पकड़ ख्वाब बुनती फिर मुझमे ही खो जाती थी।
ये सारी काल्पनिक बातें अब मुझको बड़ा सताती है
जब भी वो ख्वाबों की लड़की मेरे ख्वाबों में आ जाती है ।
ख्वाबों की दुनिया तो सिर्फ ख्वाबों में रह जाती है
मैं जब भी सफर में जाता हूँ वो लड़की गुम हो जाती है।
~मोतीराम
3 comments:
Nice👌👌
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