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Saturday, April 30, 2022

राहगीरों की महफ़िल :- मजदूर दिवस

 


राहगीरों की महफ़िल में मैं जब भी बैठ जाता हूं,

दुनिया भर की महल अटारी अमीरी भूल जाता हूं।

साथ मे इनके यूं मस्त मगन हो काफिर बन जाता हूं,

जीवन की ये रीत सिखाते मैं मुसाफिर बन जाता हूं।।


देख जमाने की रुसवाई आंख भी भर आता है,

दुनिया की इस लाचारी से मेरा मन बड़ा घबराता है,

लाले पड़े हैं रहने के ,कपड़ो के और निवालों के,

पीड़ा सुन सुन मैं अंतर्मन से दुखी हो जाता हूं।।

राहगीरों की महफ़िल में मैं जब भी बैठ जाता हूं

दुनिया भर की महल अटारी अमीरी भूल जाता हूं।।

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कुछ बच्चे हैं जिनको पढ़ना है कुछ को आगे बढ़ना है

कमी यहाँ है पैसों की कुछ को पत्थर पर सिर मढ़ना है

बातें सुन सुन बच्चों की माँ बाप के आंसू आते हैं

जब उन्हें छोड़ उनकी संताने शहर की ओर चले जाते हैं।।


तब मैं भी कुछ सहमा से कुछ डरा से खुद को पाता हूं।

होता यह सब सामने मेरे और मैं कुछ भी नही कर पाता हूं।।

राहगीरों की महफ़िल में मैं जब भी बैठ जाता हूं

दुनिया भर की महल अटारी अमीरी भूल जाता हूं।।


सोचता हूँ करू जतन कैसे मैं इस लाचारी की 

सर से लेकर पांव तक फैली इस बीमारी की 

मिलकर रहने और मेहनत करने की बात मैं सबको बतलाता हूं।

क्योंकि मैं भी कई कई रातों में भूखा ही सो जाता हूं ।।

राहगीरों की महफ़िल में मैं जब भी बैठ जाता हूं,

दुनिया भर की महल अटारी अमीरी भूल जाता हूं।।


#Worldlabourday

  ~मोतीराम 

Saturday, April 23, 2022

मेरी किताब

 


शोर सन्नाटे भरी क्लास में शांत का अहसास,

मेरी किताब मेरी किताब, मेरी किताब मेरी किताब....।।


सदियों की बातों को खुद में समेटी हुई।

ज्ञान के समर को महज कुछ पन्नों में लपेटी हुई।


जो दिमाग की गहराई को एक पल में नाप लेती है

इसके साथ जो समय बिताये ये उसी के साथ हो लेती है।


दुनिया के हर सवालो का छुपा है इसमें जवाब

मेरी किताब मेरी किताब मेरी किताब मेरी किताब ....।।


किताबें हृदय की चंचलता ,किताबें ही मन की उल्लास है

जो भी इसके गुणों को समझे यह रहती उसके पास है।


भटके हुए पथिकों को यह राह दिखाती है 

बच्चे बूढ़े और नवजवान सबको यह भाती है।।


इसके लिए सबके मन मे तारीफें हैं बेहिसाब 

मेरी किताब मेरी किताब मेरी किताब मेरी किताब.....।।


#Worldbookday

~मोतीराम

Wednesday, April 13, 2022

नन्हें मेहमान

 


माँ पापा के आंख का तारा दादा दादी का तू दुलारा है 

सुंदर सा वह मुखड़ा देखो चाचा चाची को लगता प्यारा है।

जीवन की सब खुशियों को एक तुझपे ही वारा है

तेरे आने से रोशन हुआ यह परिवार हमारा है ।।


बहुत दिनों के लंबे इंतिजार के बाद

वह समय आ गया जब तुम आओगे

हमने भी ठान रखा था हम घर 

तभी जाएंगे जब तुम आओगे ।।


रात की खबर से जब मन नही भरा

जब निकल पड़े सुबह तुमसे मिलने 

रास्ते भर तुम्हारी बातें ओर सिर्फ एक प्रश्न

कब पहुचेंगे घर तुमसे मिलने ।।


ज्यों नजर तुम्हारा चेहरा आया 

होश हमे कहा फिर आया ।

सुंदर सा वो मुखड़ा  प्यारा

लगता चांद का टुकड़ा प्यारा।


सुंदर सुंदर आंखे प्यारी 

मुखड़े की तो बात है न्यारी

मनमोहक वो छवि है प्यारी 

तुम तो लगते हो गिरधारी


नटखट सोख अदाए करते

आस पास सब तुमपर मरते

सब पर ऐसा जादू डाले हो

नाम ना लेते सब मोहनी कहते।


गोद में लेकर तुमको प्यारे

मैं भी खूब इतराता हूँ

देख तुम्हारी हर मुस्कान

मैं दुनिया भूल  जाता हूँ।


दुनिया की सारी दौलत सारी खुशियां वार दू

मेरे हिस्से में मीले सब चैन ओ सुकून वार दू

तेरे मुस्कुराने से ही खिलती है ये दुनिया मेरी

तू जो एक बार कहे तूझपे ये जीवन वार दू।।


~मोतीराम

Saturday, April 9, 2022

यादों की डगर

 


लाख पुकारे दिल तुझको पर

दिल मेरा तो उलझन में है,

पतझर से इस मौसम में भी 

दिल को लगता सावन में है।


मैं इसको समझाऊं कितना

मैं इसको बहलाऊँ कितना

दिल तो बस तेरा होना चाहे 

सिर्फ तुझमे ही खोना चाहे

यादों की तेरी डगर में बैठे

बस तुझको ही पाना चाहे।


विचरण करता है यह देखो

जंगल जंगल उपवन में

इस मन से उस मन मे

फिर उस मन से इस मन मे।


आंखों से तू जब ओझल होती है

निंदिया मेरी फिर कब सोती हैं

राह निहारे पलके मेरी 

सिर्फ एक तू ही तू दिखती है ।


आस है मुझको तुम आओगी

ढेरों खुशियां फिर लाओगी

भरकर अपनी बांहो में मुझको

हक अपना मुझपे जताओगी।।


अब दूर नही जाना जाना

साथ मेरे रह जाना जाना

हो मुश्किल गर जीवन मे तो

खुलकर मुझे बतलाना जाना ।।


तुम राह हो मेरी 

और तुम ही मंजिल हो

कश्ती भी तुम

और तुम ही साहिल हो।।

जीवन पथ में मुझको जाना

सिर्फ एक तुम तुम ही हासिल हो।।


   ~मोतीराम

खुशियों की सौगात

  फूल कोई तुम्हे भी मिल जाएगा  सब्र थोड़ा करो वह खिल जाएगा  राह में उनसे हसकर मिलो तो जरा, जख्म दिल के सभी सील जाएगा। तुमको पा लेना बस तो मु...