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Saturday, April 9, 2022

यादों की डगर

 


लाख पुकारे दिल तुझको पर

दिल मेरा तो उलझन में है,

पतझर से इस मौसम में भी 

दिल को लगता सावन में है।


मैं इसको समझाऊं कितना

मैं इसको बहलाऊँ कितना

दिल तो बस तेरा होना चाहे 

सिर्फ तुझमे ही खोना चाहे

यादों की तेरी डगर में बैठे

बस तुझको ही पाना चाहे।


विचरण करता है यह देखो

जंगल जंगल उपवन में

इस मन से उस मन मे

फिर उस मन से इस मन मे।


आंखों से तू जब ओझल होती है

निंदिया मेरी फिर कब सोती हैं

राह निहारे पलके मेरी 

सिर्फ एक तू ही तू दिखती है ।


आस है मुझको तुम आओगी

ढेरों खुशियां फिर लाओगी

भरकर अपनी बांहो में मुझको

हक अपना मुझपे जताओगी।।


अब दूर नही जाना जाना

साथ मेरे रह जाना जाना

हो मुश्किल गर जीवन मे तो

खुलकर मुझे बतलाना जाना ।।


तुम राह हो मेरी 

और तुम ही मंजिल हो

कश्ती भी तुम

और तुम ही साहिल हो।।

जीवन पथ में मुझको जाना

सिर्फ एक तुम तुम ही हासिल हो।।


   ~मोतीराम

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